Friday, June 26, 2015

एक सवाल जिंदगी से

एक सवाल जिंदगी से

कुछ केहना है आज जिंदगी तुझसे मेरे ख्वाबों का सौदा ना करो अबसे
हर बार करता हूँ महसूस उसको एक जवाब देना पर टाल ना देना अबसे

करता रहा बहाने जबसे जिंदगी ने समझा बावला तबसे
ये देने लगे राग अपने   होनेका होना सके हमदर्द पर करने लगे हलाल तबसे

कुछ खामोश पल थे जो केहना सके अबतक जिंदगी तू इतनी मुस्किल क्यों है येः समझ ना सके अबतक
केहने को मैंने सारे अरमानों को रौंद दिया अबतक तू इतनी खामोश है फिर भी अबतक

एक वक़्हत होगा मेरा भी ज़िन्दगी तेरा रूप और मेरा आइना होगा
वो सख्शियत जो अबतक समझा नहीं हमारी जिंदगी नें अब खुद तू तेरा आइना होगा

शायद हर सफर हर लम्हा तेरा खुसनुमा होगा अबतक पर जिंदगी ढूंढते तुझे उन लहरों पे कश्तियाँ ढूंढता होगा
ना जाने जिंदगी क्यों तूने दायरा बनाया अपना ऐसा जो चाहा उसे दूर करदिया जो ना मिला उसे कबुल कर लिया होगा

जिंदगी तेरी महफ़िल है इतनी घनी फिर भी ना जाने मुझे तू ही दीखता है मुस्कुराते हुवे अदाओं के संगम में
कोशिशें तो बहोत की खुद को इनमें मिलाने की पर ना जाने आज फिर जिंदगी ने दस्तक दी जीने की नई राहों में

इन बंजर जमीनों में मैंने अपने सोने के बीज बोये थे बड़े अरमानों से
कुछ पल सूखे अरमानों के ऎसे ना हम सींच सके उसको ना जतन कर सके कलसे

दुनिया को दिशा देना मेरा पेशा था ऐ जिंदगी तूने ये क्या किया हमको हम खुद ही दिशा हीन होगए
सौ ब्रम्ह ज्ञानियों का मै कल स्वामी कहलाता था ऐ जिंदगी क्या किया ऐसा जो अब सूछ्म होकर रेहगये

होता है अँधेरा जब भी तू गरजता है घनघोर इतना जिंदगी मेरे बादलों के बूँद नहीं रुकते
सागर भी चीखने लगा अबतो दिल उसका भी इस काबिल ना था के रोके इन बेहते धारों के रस्ते

जिंदगी आज कहतें हैं भरे बाजार में उस रबसे के कलसे हम तुझे फिर ना खोजेंगे इस जहाँ में दुबारा शिद्दत से
पर ख्वाइशें जो तुमनें खोई अबसे हम कहते अभी उस रबसे अब ना कोई दूसरा रब होगा हमसें ना कोई इबादत होगी कलसे





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