Friday, June 26, 2015

मोदी कर्मठ गाथा


मोदी कर्मठ गाथा

वह एक सख्सियत है जिंदगी में कुछ कर गुजरनेका
वह एक सख्सियत है जिंदगी में कुछ बदलाओ का

इतिहास भी आज दोहरा रहा है यह इतिहास फिर से
कह रहा जीवन जो अबसे वह उठ खड़ा है एक और फिर से
आज होगी एक और गाथा कर्मठ दौड़ और विकास अबसे

कौन केहता है एक दीपक रौशन नहीं कर सकता अँधेरा जहाँ का
कौन केहता है एक शब्द कलम की लिख नहीं सकता तक़दीर इस जहाँ का

वह वर्ष थे दो सौ तक़दीर बंद थी बरसों इन बंद गलियारों में जो
वोः तक़दीर बनकर आया परसों अब किलकारियां हैं ऐसे जो

पसीना था जिनका बेह रहा बरसों से आरहें हैं दौर उनके लौटते अबसे
जो दबे पैर थे अरमान कलसे आज वोः आरहे हैं दौर उनके लौटते अबसे

एक नई लहर है कलसे जमीन का बेटा तिरंगें की शान है अबसे
हर लिबास की पहचान है कल से खादी और देशी की जुबान है अबसे

हर मजार हर बाजार हर कोना गाता है एक ही गाना मोदी एक गाथा
हर तबका हर सहर हर कोना गाता है एक ही गाना मोदी एक गाथा

गर्व करती है वोः धरा जो अब बन चुकी है वसुंधरा फिर से
क्यूंकि फिर जन्मा एक और बेटा करनेको मिलाप फिर से

आज गैरों को अपना और अपनों का साथ बनके
वोः बनता चला साथ सबके छोटों का प्यार बड़ों का आशीर्वाद बनके

धरती का लाल माँ की शान बनके उतरा एक पहचान बनके
वोः लाल बनके माँ की फिर आगया धरती पर एक पहचान बनके

वोः शहीद था था सरदार पटेल वोः था एक अवतार फिर बनके
वोः था परचायक बनके राष्ट्र का फिर से होगा अब एक और निर्माण शहीद और बापू बनके



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